शिमला टाइम
हिमाचल प्रदेश सयुंक्त कर्मचारी महासंघ एवं हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में शिक्षकों एवं कर्मचारियों के लिए एक पारदर्शी एवं निष्पक्ष तबादला नीति की आवश्यकता है। पिछली सरकार में 5 सालों में जिस तरह से तबादलों के ऊपर गोरखधंधा चलता रहा और अपने लोगों को एडजस्ट करने के लिए सरकार ने 1 से 2 किलोमीटर में तबादला आदेश जारी किए। जिसमें सरकार ने अपने लोगों को परस्पर ट्रांसफर के माध्यम से शहरों में समायोजित किया उसका नतीजा यह हुआ कि जरूरतमंद कर्मचारी दुर्गम क्षेत्रों से अपने स्थानांतरण करने में असमर्थ रहे दूसरी बड़ी बात जो देखने को मिली वह यह थी कि जब भी कोई शिक्षक या कर्मचारी बड़ी मशक्कत से डियो नोट मुख्यमंत्री से अप्रूव करवाता था तो उसका स्थानांतरण उस डियो नोट के आधार पर नहीं होता था। निदेशालय में एक नई प्रथा शुरू की गई कि ट्रांसफर के लिए डिओ नोट के बाद भी आपको मुख्यमंत्री कार्यालय या शिक्षा मंत्री कार्यालय से फोन या निदेशक का चिट् ब्रांच में जब तक नहीं पहुंचता था। तब तक ट्रांस्फर आदेश जारी नहीं होते थे। दूसरी बड़ी बात जो पिछले 5 सालों में देखने को मिली वह यह थी कि जिस स्टेशन के लिए मुख्यमंत्री का डिओ नोट जारी होता था। वहां पर किसी और के ही आदेश जारी कर दिए जाते थे। जिससे यह जाहिर होता है कि ट्रांसफर के पीछे बहुत बड़ा खेल चल रहा था जिसका खुलासा करना बहुत ही आवश्यक है इस पूरे मामले में कुछ जानकारियां और तथ्य हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के पास भी उपलब्ध हुए हैं। वह भी सरकार को जांच के लिए उपलब्ध कराये जाएंगे ताकि पूरे मामले पर निष्पक्ष जांच कर यह पता लगाया जाए कि किस तरह से ट्रांसफर को एक ऐसी इंडस्ट्री तैयार कर दिया गया है जिसमें पैसों का खुला खेल पिछली सरकार के द्वारा कुछ कर्मचारी नेताओ व अधिकारियों के द्वारा चलाया गया था संघ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि ट्रांसफर नीति को संशोधित कर कम से कम 25 किलोमीटर का रेडियस स्थानतरण के लिए जरूरी समझा जाए अन्यथा कुछ कर्मचारी व शिक्षक 1 किलोमीटर के रेडियस में ही पूरी उम्र घूमते रहेंगे और दूरदराज में फंसे शिक्षकों को शहर या कस्बे में आने का अवसर प्राप्त नहीं होगा।
इसके अतिरिक्त प्रेस वार्ता में वीरेंद्र चौहान ने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा जयराम सरकार के द्वारा पिछले 6 महीनों में लिए गए निर्णयों की समीक्षा करना कोई गलत कार्य नहीं है क्योंकि हर सरकारी पिछली सरकार के कार्यों की समीक्षा करती है यदि जो कार्य नोटिफिकेशन ऑर्डर में सही नहीं बैठती है उसे डिनोटिफाई करना सरकार का दायित्व बन जाता है। इस संदर्भ में सरकार द्वारा पूर्व सरकार के छह महीनों के निर्णयों की समीक्षा करना जनहित एवं कर्मचारी हित में लिया गया सराहनीय कदम है। जिसकी संघ सराहना करता है चौहान ने कहा कि भाजपा सरकार ने अंतिम 6 महीनों में बिना किसी बजट का प्रावधान किए राजनीतिक फायदा लेने के लिए धड़ल्ले से संस्थानों व कार्यालयों को खोलने व स्थानांतरण अंतर करने का बिना सोचे समझे काम किया। जिसमें ना तो किसी तरह की व्यवस्था को तैयार किया गया और ना ही बजट का प्रावधान किया गया जिससे ना तो पहले से कार्यरत संस्थान सही तरीके से काम कर पाए और ना ही नये खोले गए कार्यालय एवं संस्थानों को सही तरीके से चलाया जा सका। इससे एक और जहां कर्मचारी पशोपेश की स्थिति में रहा। वहीं सरकारी कार्य भी बाधित रहे जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा।
चौहान ने कहा कि सरकार ने अनगिनत ऐसे शिक्षण संस्थानों को खोला व स्त्रोन्नत किये जिसका कोई औचित्य नहीं था लेकिन वहां पर ना तो इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रावधान किया गया और ना ही स्टाफ की व्यवस्था की गई दिखावा करने के लिए कुछ शिक्षकों का स्थानांतरण कर इन संस्थानों को चलाने का प्रयास तो किया गया लेकिन पहले से चल रहे हैं शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों को भारी क्षति का सामना करना पड़ा इससे ना तो पहले से चल रहे शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई हो पाई और ना ही नये खोले गए संस्थानों में बच्चे दाखिल हो पाए और ना ही उनकी पढ़ाई हो पाई और पहले से पढ़ा रहे शिक्षकों को नये स्कूलों में भेजकर बेला कर दिया गया। केवल और केवल सरकार ने अपने वोट बैंक को बनाने।
चौहान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पहले से ही जरूरत से ज्यादा शिक्षण संस्थान खोले गए हैं और अधिक शिक्षण संस्थान खोलने की आवश्यकता हिमाचल जैसे छोटे राज्य मे नहीं है सरकार को इन संस्थानों को मूलभूत आवश्यकताएं प्रदान करने पर ही जोर देने की आवश्यकता है इसी तरह अन्य विभागों में भी यही हाल है जरूरत से ज्यादा कार्यालयों वह संस्थानों को खोलने के बजाय उसे सुदृढ़ करना और अच्छी व्यवस्था देना सरकार की प्रथमिकता एवम उद्देश्य होना चाहिए जिससे आम जनता लाभान्वित हो सके।
चौहान ने कहा कि स्कूलों में खाली चल रहे शिक्षकों के पदों को भरने की आवश्यकता है जिससे बच्चों के भविष्य को सुदृढ़ किया जा सके।