त्वरित प्रतिक्रिया के लिए हिमाचल में राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल होगा स्थापित

शिमला टाइम, शिमला

मुख्य सचिव बी. के. अग्रवाल की अध्यक्षता में आज यहां राज्य कार्यकारी समिति (एसईसी) की 9वीं बैठक आयोजित हुई। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार आपदाओं के समय त्वरित और कुशल प्रतिक्रिया के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की तर्ज पर राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की स्थापना करेगी।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक आपदा की दृष्टि से देश के सबसे अधिक संवेदनशील राज्यों में से एक है। मौसम संबंधी प्राकृतिक आपदाओं में  सम्बन्धित खतरों, ओलावृष्टि, सूखा और बादल फटने के अलावा राज्य में विभिन्न खतरों जैसे भू-गर्भीय खतरे, भूकंप, भूस्खलन और हिमस्खलन के खतरों का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि आपदा और आपात स्थिति से निपटने के लिए पुलिस की कम्पनियों से युक्त राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) का गठन करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मंडी, अर्की और मुबारकपुर में एसडीआरएफ की स्थापना की जाएगी और आपदा के समय प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए प्रत्येक में 100 जवानों की तीन कंपनियां होंगी।  आपदाओं में कमी लाने के लिए राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष के गठन को भी स्वीकृति प्रदान की।

उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ प्रदेश सरकार राजस्व विभाग व आपदा प्रबंधन के पर्यवेक्षण के तहत गठित होगा। उन्होंने स्थानीय स्तर पर स्वयं सेवकों को आपदा की स्थिति में सहायता करने के लिए तैयार करने पर बल दिया। विभिन्न प्रकार की आपदाओं के बारे में जागरूकता के लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षण और मॉकड्रिल का आयोजन किया जाएगा ताकि राज्य के प्रत्येक नागरिक को आपदा के समय किसी भी घटना से निपटने के लिए बेहतर रूप से तैयार किया जा सके। उन्होंने कहा कि आपदा की स्थिति में स्थानीय लोग ही प्रथम सहायक होते हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य की कार्यकारी समिति के पास राष्ट्रीय योजना और राज्य योजना को लागू करने की जिम्मेदारी होगी और राज्य में आपदा प्रबंधन के लिए समन्वय और निगरानी निकाय के रूप में कार्य करेगी। साथ ही वह किसी भी विभाग को किसी भी प्रकार की आपदा की स्थिति के दौरान कार्रवाई हेतु निर्देश देने के लिए जिम्मेदार होंगे। उन्होंने सभी जिला और स्थानीय अधिकारियों को आपदा के दौरान प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।

 अतिरिक्त मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग मनीषा नंदा ने कहा कि विद्यालय स्तर पर जागरूकता पैदा करने के लिए ’स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम’ शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा और कुल्लू जिलों में200 स्कूलों में यह परियोजना लागू की गई है। इस परियोजना के तहत जिला स्तर पर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और ‘एससीईआरटी’ ने मुख्याध्यापकों, प्रधानाचार्यों और व्याख्याताओं/पीजीटी और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों, छात्रों की प्रतिस्पर्धात्मक गतिविधियों के लिए जिला शिक्षा संस्थान और ट्रैनिंग डाईट और सरकारी कॉलेज ऑफ टीचर्स एजुकेशन (जीसीटीई) की मदद से प्रशिक्षण प्रदान किया है।

उन्होंने कहा कि पहली बार 39 सम्बद्ध विभागों के लिए राज्य आपदा प्रबंधन योजना तैयार की गई है और वर्ष 2019-20 के लिए प्रशिक्षण कैलेंडर पहले ही तैयार किया गया है। उसने कहा कि आपातकालीन परिस्थितियों के दौरान बचाव और राहत के लिए विशिष्ट स्वयं सेवकों की टीमें बनाई जाएंगी।

निदेशक एवं विशेष सचिव (आपदा प्रबंधन सैल) डी.सी. राणा ने कहा कि राज्य भूकम्प की दृष्टि से बहुत संवेदनशील है तथा आपदा से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए आपदा प्रबन्धन सैल ने श्वेतपत्र तैयार किया है। उन्होंने कहा कि भूकम्प की पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने का भी प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष से एसडीएमए/डीएमसी में प्रशिक्षु लेने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न तकनीकी संस्थानों/विश्वविद्यालयों में आपदा प्रबंधन से संबंधित योग्यता प्राप्त करने वाले छात्रों को आपदा प्रबन्धन सैल द्वारा 5000 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि सभी बांध प्रबन्धकों को ‘अर्ली वार्निंग एंड अलर्ट सिस्टम’ को लागू करने के दिशा-निर्देश जारी किए गए है ताकि बांध और जलाशयों से पानी छोड़े जाने पर कोई नुकसान न हो। सभी अधिकारियों को केन्द्रीय जल आयोग द्वारा वर्ष2014 में जारी दिशा-निर्देशों को कड़ाई से अनुपालन करने के निर्देश दिए गए हैं।

बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) मनोज कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) आर.डी. धीमान, निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग हरबंस सिंह ब्रसकोन, एडीजीपी (होमगार्ड व नागरिक सुरक्षा अग्नि सेवाएं) अतुल वर्मा, पुलिस महानिदेशक हिमांशु मिश्रा तथा अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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