शिमला टाइम
जेओए आईटी पोस्ट कोड 817 के अभ्यर्थी आज मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलेंगे। करुणामूलक संघ के पदाधिकारी भी सीएम से मिलकर अपनी मांगें रखेंगे।
हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग द्वारा करवाई गई जेओए
की भर्ती पिछले तीन सालों से पूरी नहीं हो पाई है,
इस बीच सरकार ने हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग के कामकाज को निलंबित कर दिया है। इससे जेओए आईटी 817 के अभ्यर्थी चिंतित हैं, ऐसे में वे सीएम से मिलकर मांग करेंगे कि जल्द ही इस भर्ती को सरकार पूरा करे। अभ्यर्थी मान रहे है की सरकार के पास कई शिकायतें आयोग से संबंधित मिली हैं, लेकिन उनका कहना है कि सरकार उन लोगों पर करवाई करे जो धांधली में शामिल रहे हैं। जिन युवाओं ने मेहनत से परीक्षाएं दी हैं उनको इसका खामियाजा न भुगतना पड़े।
अभ्यर्थियों का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में जेओए (आईटी) का एक भी पद नहीं भरा गया है। पांच भर्तियां जेओए (आईटी) की मझधार में फंसी हैं। अभ्यर्थी सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मांग करेंगे कि नई एक लाख नौकरियां निकालने से पहले सरकार जेओए की पिछली फंसी भर्तियां पूरी करे। पिछले पांच वर्षों में प्रदेश में भर्तियों को लेकर जो हालत बने हैं, वे देवभूमि हिमाचल में भी बेरोजगारी की हालात बिहार जैसे बन रहे हैं।
अभ्यर्थियों का कहना है कि 1867 पदों के लिए हो रही इस भर्ती के कारण उनको दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं।
ऐसे में शुक्रवार को जेओए आइटी 817 के अभ्यर्थी सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात करेंगे। अभ्यर्थियों का कहना है कि हिमाचल के नए बने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खु से उनकी 27 दिसंबर को शिमला में मुलाकात हुई थी। यह मुलाकात काफी साकारात्मक थी। सीएम ने इसके बाद 20 जनवरी को दोबारा मिलने को कहा था। सीएम ने कहा था कि जेओए आईटी 817 का मामला उनके संज्ञान में है। इस मसले पर सरकार की ओर से एक बैठक हो चुकी है और दूसरी बैठक में कोई न कोई निर्णय इस बारे में लिया जाएगा। ऐसे में जेओए आईटी 817 के अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि सीएम के साथ होने वाली मुलाकात में कोई न कोई निर्णय जरूर निकलेगा।
शुक्रवार को एक समय ऐसा भी आया जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे अभ्यर्थियों का सब्र का बांध टूट गया और बोले कि अब भगवान ही आकर कहे कि इन्हें नौकरी दे दो। हम सिस्टम से लड़ते-लड़ते थक गए हैं। इस दौरान कई अभ्यर्थी फुट -फुट कर रोये। अभ्यर्थियों का कहना है कि टेस्ट उत्तीर्ण करने के बावजूद सालों से नियुक्ति नहीं मिल रही। पिछली सरकार की तरह यह सरकार भी अनदेखी कर रही है।