शिमला टाइम
हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग में सयुंक्त शिक्षा सचिव सोनिया ठाकुर द्वारा गत दिनों उनकी आधिकारिक शक्तियों को छीन कर केन्द्रिकृत करते हुए शिक्षानिदेशक उच्च पर उन्हें खरीद कमेटी से हटाकर बच्चों के लिए करोडों रुपये का सामान खरीद लिया जाना व इस हेतु जेम पोर्टल पर अधिकृत खरीददार होने के बावजूद उन्हें दरकिनार कर समान खरीदे जाने को लेकर प्रदेश शिक्षा जगत को स्तब्ध कर देने वाला वाकया सामने आया है। राजकीय अध्यापक संघ का कहना है कि ये सब शिकायत विभागीय स्तर के अधिकारी ने स्वयं शिक्षा सचिव के समक्ष की है,जिसमे उन्होंने सारी खरीद फ़रोक्त का ऑडिट तक करने की मांग की है।
उस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच तो होनी ही चाहिए थी ताकि प्रदेश की भोली भाली जनता के बच्चों के लिए खरीदे गए सामान के लिए किसी भी स्तर पर कोई कोताही न हो। उधर, स्कूली स्तर पर आवश्यकतानुसार खरीद फरोख्त के लिए स्कूल मुखिया अधिकृत हैं व उनके साथ इस हेतु पर्याप्त संवैधानिक कमेटियां सहायता हेतु बनी हैं, फिर, निदेशक उच्च स्तर पर सक्षम अधिकारी के होते हुए भी स्वयं ये खरीद क्यों कि गई और इस उच्च स्तर के पद के अधिकारी का इस खरीद से जुड़ा होना इस पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है। अतः इस कि जांच होनी चाहिए थी। संघ का कहना है कि प्रदेश के शिक्षकों की सबसे बड़ी यूनियन के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने इस शिकायत पर निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच करने की मांग उठाई थी ताकि प्रदेश के शिक्षकों व अविभावकों को ये पता तो चले कि आखिर सच्चाई क्या है, जो कि प्रत्येक यूनियन का सामने लाना कर्तव्य भी है। परन्तु हैरानी की बात है कि शिक्षक संगठनों के कुछ चुनिंदा नेतागण उल्टा निदेशक उच्च के स्पोक्समैन बन कर उनकी चापलूसी के कसीदे गढ़ कर अपने आपको विभाग का हिमायती होने का दम भर रहे है। यही नही, कुछ तथाकथित शिक्षक नेताओं ने इस बहाने राजकीय अध्यापक संघ के राज्य अध्यक्ष पर अनाप शनाप बयानबाजी तक कर डाली। संघ ने कहा है कि हैरत तो तब हुई जब प्रदेश में डाईंग कैडर प्रवक्ता संघ के प्रदेशाध्यक्ष एवम प्रधानाचार्य एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष ने बिना जांच किये हुए ही बयान जारी कर दिए कि निदेशक बेकसूर हैं और आरोप निराधार है , उधर स्नातक आर्ट्स संघ के एक पदाधिकारी द्वारा निदेशक उच्च के समर्थन में जारी बयान ने तो सारी हदें ही लांघ दी।उक्त पदाधिकारी का कार्यक्षेत्र मात्र निदेशालय प्रारम्भिक तक है परन्तु वे ये भी भूल गए कि निदेशालय उच्च से तो उनका कोई लेनादेना ही नही है, फिर उन्होंने निदेशक उच्च को खुश करने के लिए बयान लगाया कि निदेशक बेकसुर है और हम उनके साथ है , ये भी प्रदेश की शिक्षा व्यस्था से जुड़े लोगों की समझ से परे है , इसकी भी जांच होनी चाहिए। इसी दौरान जिला सोलन से एक यूनियन के स्वयम्भू नेता ने भी शिक्षा निदेशक उच्च को क्लीन चिट देते हुए बिना जांच के ही यहां तक कह डाला कि निदेशक उच्च बेकसूर हैं और उन पर अध्यापक संघ बेवजह आरोप लगा रहा। ज्ञात हो कि शिक्षा निदेशक उच्च हिमाचल प्रदेश पर उसी के ही एक उच्च स्तरीय अधिकारी ने स्कूलों हेतु नियमों के विपरीत सामान खरीद के आरोप लगाए थे जिसका पता चलते ही अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए प्रदेश के सबसे बड़े शिक्षक संगठन हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने अपने अध्यक्ष के माध्यम से जांच की मांग उठाई थी ताकि सच्चाई का पता चल सके। गौर करने की बात तो ये है कि अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने शिक्षा निदेशक पर आरोप नही लगाए थे, बल्कि उन पर लगे आरोपों की जांच कर सच्चाई सामने लाने का प्रयास किया गया था क्योंकि प्रदेश के शिक्षा विभाग में इस तरह के आरोप लगने से शिक्षा विभाग की आम जनमानस में किरकिरी हुई है। अतः सच सामने आना चाहिए। राजकीय अध्यापक संघ के राज्य चेयरमैन सचिन जसवाल, महासचिव श्याम लाल हांडा, चीफ पैटर्न अरुण गुलेरिया, पैटर्न सरोज मेहता, मनोहर शर्मा, दिलेर जामवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजीव ठाकुर, अजय शर्मा, कमलराज अत्री, वित्त सचिव देव राज ठाकुर, उपाध्यक्ष गोविन्दर पठानिया सहित समस्त जिला प्रधानों में चंबा के हरि प्रसाद, ऊना के डॉक्टर किशोरी लाल, हमीरपुर के सुनील शर्मा, बिलासपुर के राकेश संधू, शिमला के महावीर कैंथला, कांगड़ा के नरदेव ठाकुर, सिरमौर के राजीव ठाकुर ,कुल्लू के यशपाल शर्मा, लाहुल स्पिति से पालम शर्मा, किन्नौर से राधाकृष्ण, मंडी से तिलक नायक, मुख्य सलाहकार अरुण गुलेरिया, कांगड़ा महासचिव सुमन चौधरी की अगुवाई में राज्य भर की समस्त राज्य, जिला व खण्ड कार्यकारिणियों की आपातकालीन बैठक कर प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ ऐसे अनाप शनाप बयानों की घोर निंदा की गई है तथा चेताया गया है कि आइंदा ऐसे बयान बाजी की बजाए ये यूनियनें शिक्षक, विद्यार्थी तथा शिक्षा हित में कार्य करें। अन्यथा शिक्षकों के बीच जा कर इन यूनिनों के चाटुकार नेताओं की पोल खोली जाएगी, जो शिक्षकों का चंदा उनके हितों की सुरक्षा के आश्वासन दे कर लेते तो हैं परन्तु फिर तीन साल किस तरह से ये उच्च अधिकारियों की चाटुकारिता व चापलूसी कर शिक्षकों के हितों से खिलवाड़ करते हैं।
वीरेंद्र चौहान, अध्यक्ष हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ– मैंने तो शिक्षा विभाग के अधिकारी द्वारा स्वयं लगाए गए आरोपों के पीछे की सिर्फ सच्चाई को जानने के लिए उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी ताकि सच प्रदेश की जनता के सामने आए, परन्तु कुछ यूनियनों के पदाधिकारियों द्वारा ओछी राजनीति कर व्यक्तिगत खुन्नस निकाल कर चापलूसी की हदें पार की जा रही जो कि शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा नही है।
यूनियनें चापलूसी न करें-सचिन जसवाल-
यूनियनें सोशल मीडिया में राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ खुन्नस निकालने के उद्देश्य से बयान बयान जारी कर अपने आप को विभाग का हिमायती होने का दम भर रही हैं जो कि शिक्षा व्यस्था में परदर्शिता पर बदनुमा दाग है। अतः संघ ऐसे लोगों के खिलाफ कोर्ट जाने का मादा रखता है।
महावीर कैथला, अध्यक्ष- शिमला राजकीय अध्यापक संघ– प्रदेशाध्यक्ष राजकीय अध्यापक संघ वीरेंद्र चौहान पर दुर्भावना से प्रेरित राजनीतिक बयान बाजी से पहले प्रदेश प्रिंसिपल एसोसिएशन को ये पता होना चाहिए था कि हर घर बने पाठशाला कार्यक्रम उच्च शिक्षा निदेशालय की बजाए निदेशक प्रदेश समग्र शिक्षा अभियान(आईएसएसई) द्वारा संचालित किया जा रहा है । इस तरह की बयानबाजी की संघ घोर निंदा करता है।