शिमला टाइम
हिमाचल किसान सभा ने ढली(भट्टाकुफर), शिमला फल मंडी पर भूस्खलन से हुए नुकसान व भूस्खलन के चलते इसको बन्द करने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। किसान सभा ने सरकार से मांग की है कि इस भूस्खलन से बागवानों व ख़रीदारों को हुए नुकसान की भरपाई करे तथा सेब सीजन को ध्यान में रखते हुए इसकी वैकल्पिक व्यवस्था तुरंत की जाए। ताकि किसानों व बागवानों को सेब व सब्जी के चालू सीजन के दौरान कोई परेशानी न हो। किसान सभा ने माँग की है कि तुरंत वैकल्पिक स्थान का प्रावधान कर सब्जी व फल मंडी को आरम्भ किया जाए।
हिमाचल किसान सभा के वित्त सचिव संजय चौहान ने कहा है कि
किसान सभा के पदाधिकारियों ने आज कुछ किसानों, बागवानों, आढ़तियों व खरीदारों से बातचीत की तथा इस समस्या के समाधान के लिए इनसे विस्तृत चर्चा की। इसमें यह सुझाव आए जिससे किसान सभा भी सहमति व्यक्त करती है कि जो किसान, बागवान, आढ़ती व खरीददार पराला या अन्य किसी भी मंडी में जाकर कारोबार करना चाहता है वह वहाँ जाकर कारोबार कर सकता है और जो कारोबारी ढली मंडी में ही कार्य करना चाहता है, वह ढली मंडी में सेब व भट्टाकुफर में जो भूस्खलन ग्रसित शेड से नीचे का मैदान है वहाँ पर ए पी एम सी द्वारा तुरंत शेड बनाए जाएं और कारोबारियों को देकर तुरंत प्रभाव से इसमें मंडी को आरम्भ किया जाये ताकि किसानों व बागवानों को उनकी सब्जी, सेब तथा अन्य फल बेचने में कोई परेशानी न हो।
इसके साथ ही किसान सभा सरकार से मांग करती है कि सरकार मौजूदा स्थिति के मद्देनजर दीर्घावधि की योजना बनाकर शीघ्र ही नई जगह चिन्हित कर शिमला शहर से बाहर लगते क्षेत्र जिसमें आनन्दपुर, शोघी या कोई और खुले स्थान चिन्हित कर यहां पर सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस सब्जी व फल मंडी शीघ्र विकसित कर वहां सेब व अन्य फलों का कारोबार आरम्भ किया जाए। ढली मंडी के साथ ही वर्ष 2016 में आरम्भ की गई दाड़नी का बगीचा व टूटू में सब्जी मंडियों का भी शीघ्र निर्माण कर इनको आरम्भ किया जाए। इससे शहर में हो रही भीड़भाड़ व ट्रैफिक जाम की समस्या से भी निजात मिलेगी और किसानों व कारोबारियों को भी कारोबार के लिए बेहतर स्थान व वातावरण उपलब्ध होगा। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि जिस प्रकार से किसानों व बागवानों को उनके उत्पाद को बेचने में कठिनाई हो रही है और उनको उचित मूल्य नहीं मिलते, इसके लिए सरकार को प्रदेश में ही सभी मूलभूत सुविधाओं से लैस आधुनिक मंडियों का विकास व विस्तार करके किसानों व बागवानों के शोषण को समाप्त कर उनके उत्पाद को उचित मूल्य प्रदान करने के लिए कार्य करना होगा तभी प्रदेश के किसानों व बागवानों के हितों की रक्षा की जा सकती है।