जनता की सुविधा के लिए ऑनलाइन प्रणाली महत्वपूर्ण: सुरेश भारद्वाज

शिमला टाइम
नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश में भवन निर्माण स्वीकृतियों के लिए ऑनलाइन प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जिससे लोगों को सुविधा प्रदान की जा रही है। यह जानकारी उन्होंने आज नगर एवं ग्राम नियोजन (टीसीपी) विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि विभाग द्वारा नियोजन स्वीकृति आवेदनों के ऑनलाइन निपटान के लिए  tcp.hp.gov.in वेब पोर्टल तथा  himtcp  मोबाइल ऐप चलाया जा रहा है, जिसके तहत कुल 7940 स्वीकृतियां प्रदान की गई हैं। 2400 से ज्यादा निजी प्रोफेशनल विभाग के तहत पंजीकृत हैं। प्रदेश सरकार ने आवश्यक प्रमाण-पत्र प्रक्रिया का भी सरलीकरण किया है। जनता की सुविधा के लिए कुल सात प्रकार के अनापत्ति प्रमाण-पत्रों के स्थान पर अब स्व-घोषणा स्वीकार्य है।
उन्होंने कहा कि नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग द्वारा प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। हिमाचल प्रदेश का पहाड़ी राज्य होने के दृष्टिगत देश में अपना एक विशेष स्थान है। विभाग द्वारा भौगोलिक परिस्थितियों, क्षेत्रीय विशेषताओं तथा पर्यावरण के पहलुओं पर ध्यान देते हुए संतुलित विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। विभाग के अंतर्गत कुल 102 अधिसूचित क्षेत्र हैं। हिमाचल प्रदेश नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम 1977 (शहरी तथा ग्रामीण) के तहत कुल 204056.20 हेक्टेयर क्षेत्र है। यह अधिनियम प्रदेश के 54 शहरी स्थानीय निकायों में लागू किया गया है।

सचिव नगर एवं ग्राम नियोजन रजनीश ने सुरेश भारद्वाज का स्वागत किया।  बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम 1977 के अंतर्गत प्रदेश की कुल आबादी का 21.70 प्रतिशत भाग है। हिमाचल प्रदेश नगर एवं ग्राम नियोजन नियम 2014 और केंद्र तथा प्रदेश के विभिन्न नीति दस्तावेजों के तहत विभाग कार्य कर रहा है। विभाग द्वारा विभिन्न शुल्कों के सरलीकरण के साथ-साथ इनमें कटौती भी की गई है। प्रदेश के सभी जिलों में अनाधिकृत निर्माण को रोकने के लिए उपायुक्तों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समन्वय समितियां भी गठित की गई हैं। विभाग के अधिकार क्षेत्र में विभिन्न क्षेत्रों को लाने या बाहर करने की आवेदनों की जांच के लिए मंत्रिमंडलीय उप-समिति गठित की गई है।
इस अवसर पर राज्य नगर नियोजक अंजली शर्मा, नगर एवं ग्राम नियोजक कर्मचन्द नान्टा तथा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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