शिमला टाइम
SFI ने ये आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में हो रही प्रोफेसर तथा सहायक प्रोफेसर की भर्तियो में रोसस्टर सिस्टम को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। जो 200 पॉइंट रोसस्टर सिस्टम इस बार लागू किया जा रहा उसमें पूरी तरह से कई विभागों में सारी की सारी सीट्स आरक्षित रखी गयी है और कई विभागों में एक भी सीट्स आरक्षित नही रखी गई है। फॉर्म्स के छँटनी के लिये भी कोई कमिटी का गठन नही किया गया है बल्कि वहां पर सीधे तौर पर नियमो की अवहेलना की जा रही है। SFI ने माँग की है कि फॉर्म्स की छँटनी सेवानिवृत्त प्रोफेसरों के बजाय विभागों के प्रोफेसर को शामिल करते हुए की जाए। इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम देने के लिए कई विभागों में तो विभागाध्यक्ष भी कहीं और महाविद्यालय से बुलाकर बनाए गये है। जबकि वहाँ पर सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर को विभागाध्यक्ष बनाया जाना चाहिए था। SFI ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय अध्यादेश के अनुसार जब भी आप किसी भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित करते हैं तो विश्वविद्यालय को उसको कम से कम 3 हिंदी व अंग्रेजी के समाचार पत्रों के साथ साथ विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर प्रकाशित करना होता है। जबकि इस कोरोना के दौर में वो सिर्फ एक ही पत्र में प्रकाशित किया गया। ताकि सरकार व कुलपति के चहेते लोग जो पहले इन नियुक्तियों के लिए काबिल नही थे अब योग्यता पूरी कर रहे है उन्हें मौका मिल सके। इसलिए ये साफ तौर पर दर्शाता है कि भर्ती प्रक्रिया में नियमों को दरकिनार किया जा रहा है औऱ अपने चहेतों को भर्ती करवाने की मंशा से भर्तियां की जा रही है अगर एक दिन के अंदर विश्वविद्यालय अपना पक्ष नही रखता तो sfi आने वाले समय मे इस के खिलाफ़ सड़कों पर उतरेगी तथा ये जो भर्ती के नाम पर धांधली हो रही है उसको कतई भी बर्दाश्त नही करेगी।
SFI राज्य सचिव अमित ठाकुर ने बताया कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 25 अगस्त को जारी अधिसूचना के मुताबिक किसी भी विश्वविद्यालय में जब तक इस महामारी के दौरान स्थिति सामान्य नही हो जाती है कोई भी भर्ती प्रक्रिया नही की जाएगी। लेकिन हमारा विश्वविद्यालय इन नियमो का उल्लंघन करते हुए जल्दबाजी में इस महामारी को अवसर बनाते हुए अपने लोगो को भर्ती करने के लिए इस भर्ती प्रक्रिया को आयोजित कर रहा है । इस भर्ती प्रक्रिया में बहुत सारी खमिया है जिन्हें समय रहते दुरुस्त किया जाना जरूरी है अन्यथा विश्वविद्यालय की स्वायत्तता व भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता के अभाव को लेकर एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा।