शिमला टाइम, शिमला
कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने 15वें वित्त आयोग की ओर से हिमाचल को राजस्व घाटा अनुदान को 45 प्रतिशत बढ़ाने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि लगातार बढ़ते कर्ज से शायद हिमाचल प्रदेश को कुछ राहत मिलेगी।उन्होंने उम्मीद जताई है कि प्रदेश सरकार इसे ऊलजलूल में खर्च न करते हुए प्रदेश के विकास कार्यो में खर्च करेगी।विक्रमादित्य सिंह ने जारी एक बयान में कहा की 15वें वित्त आयोग ने जो सिफारिश की है वह प्रदेश में पूर्व कांग्रेस सरकार की बेहतर कार्य प्रणाली और बहेतर आर्थिक प्रबधंन और पर्यावरण सरंक्षण के आधार पर ही की है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने प्रदेश को कोई उपकार नही किया है। यह प्रदेश का वाजिब हक था जो मिलना ही चाहिए था। उन्होंने कहा कि प्रदेश ने अपनी बहुमूल्य वन संपदा के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण की ओर विशेष ध्यान दिया है। यही वजह है कि प्रदेश में आज वन क्षेत्रफल भी बड़ा है। प्रदेश की भूगोलिक स्थिति को देखते हुए हिमाचल को विशेष दर्जा देते हुए इसकी विशेष आर्थिक सहायता भी समय समय भी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बीडीसी और जिला परिषद का बजट बहाल होने से ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में भी तेजी आयेगी। बशर्ते है कि प्रदेश सरकार इन के अधिकारो पर किसी भी प्रकार की केंची न चलाये। पंचायत प्रतिनिधियों को बजट देने का निर्णय भी स्वागत योग्य है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी क्षेत्र होने की बजह से यहां विकास कार्यों की लागत अन्य मैदानी इलाकों से कही ज्यादा पड़ती है। इस आधार पर भी प्रदेश को केंद्र से अधिक आर्थिक सहायता मिलनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्यटन की आपार संभावनाओं को देखते हुए इसके विकास को भी विशेष आर्थिक सहायता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि रेलवे का सम्पर्क पर्यटन स्थलों से नाम मात्र का है इसलिए इसके विस्तार के साथ- साथ हवाई यात्रा के शुल्कों में भी कटौती की जानी चाहिए।