धूल फांक रहे बुक कैफे का स्वरूप बदलने की तैयारी कर रहा नगर निगम

शिमला टाइम

राजधानी शिमला के टक्का बैंच में पिछले दो सालों से बुक कैफे पर ताले लटके है । कोरोना संक्रमण के बाद से ये कैफे बन्द पड़ा है । नगर निगम ने जेल विभाग से लेकर इस कैफे को 14 लाख सालाना लीज पर निजी कम्पनी को दिया था लेकिन कोरोना के बाद से ही कंपनी ने चलाने से मना कर दिया। वहीं अब इस कैफे पर ताले लटके है और किताबे धूल फांक रही है। जबकि ये कैफे खास कर पर्यटको का आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। वहीं नगर निगम अब बुक कैफे का स्वरूप बदलने की तैयारी कर रहा है। 

नगर निगम की महापौर सत्या कौंडल ने कहा कि काफी समय से यह कैफे बंद पड़ा हुआ है। जिस कंपनी को इसका टेंडर दिया था वे लॉक डाउन के बाद से ही इसे नहीं चला रहे है ऐसे में इस कैफे के लिए दोबारा टेंडर किया जाएगा । उन्होंने कहा कि टक्का बैच पर बुक कैफे की जगह कुछ बनाया जा सकता है। जिससे लोगो को फायदा मिल सके। इसके बारे में नगर निगम विचार कर रहा है। 

बता दें 2017 में नगर निगम शिमला में टका बेंचपर बुक कैफे बनाया था और इस कैफे को कैदियों को चलाने के लिए दिया गया था जिससे एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ था । यहां पर पर्यटक और स्थानीय लोग काफी तादाद में आते थे लेकिन नगर निगम ने इस कैफे का निजीकरण कर दिया और कंपनी को इस कैफे को चलाने के लिए दे दिया। निगम को इससे काफी आमदनी भी हो रही थी लेकिन करीब पिछले दो साल से इस कैफे पर ताले लगे हुए हैं ऐसे में ना तो शहर के लोग और ना ही पर्यटक इस कैफे में बैठने का लुत्फ उठा रहे हैं इस कैफे में पढ़ने के लिए किताबें भी रखी गई है। 

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