नौवीं से 12वीं कक्षा की टर्म एक व टर्म दो के आधार पर परीक्षाओं को नवंबर और मार्च में इस वर्ष से करवाने के निर्णय पर सरकार, विभाग व शिक्षा बोर्ड पुनः करें विचार : वीरेंद्र चौहान

शिमला टाइम

हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान चेयरमैन सचिन जस्वाल एवं उनकी समस्त कार्यकारिणी ने एक संयुक्त बयान में कहां है की इस वर्ष हिमाचल प्रदेश सरकार एवं शिक्षा विभाग और शिक्षा बोर्ड ने नौवीं से 12वीं कक्षा के परीक्षा शेड्यूल में बदलाव कर उन्हें 2 टर्म में करने का जो निर्णय लिया है जिसमें पहले टर्म की परीक्षाएं नवंबर माह में 50% सिलेबस के आधार पर करवाने तथा दूसरे टर्म की परीक्षा मार्च मे बाकी बचे 50% सिलेबस के आधार पर करवाने का जो निर्णय आनन-फानन में लिया है उससे संघ आहत है और संघ का कहना है कि इस तरह के नीतिगत निर्णय लेने से पहले शिक्षा विभाग एवं शिक्षा बोर्ड को अभिभावकों एवं शिक्षक संगठनों तथा शिक्षाविदों से सलाह मशवरा करना चाहिए था l क्योंकि यह निर्णय कोबिट की परिस्थितियों के मध्यनज़र छात्रों एवं शिक्षकों के हित में तो बिल्कुल भी सही नहीं है, यदि परीक्षाओं को दो टर्म में बांटना है तो दोनों टर्म को बराबर समय अवधि के आधार पर ही बांटना उचित है यह कहां तक सार्थक है कि यदि एक टर्म के लिए आप यदि 8 महीनों का समय देते हैं तो दूसरी टीम के लिए 4 महीने का समय निर्धारित किया गया है जबकि सिलेबस दोनों टर्म में आधा-आधा आना है l विशेषकर शीतकालीन स्कूलों के बारे में अगर विचार किया जाए जहां पर नवंबर के बाद मार्च तक ना के बराबर पढ़ाई होती है क्योंकि बर्फबारी एवं ठंड के कारण ज्यादातर बच्चे स्कूल नहीं आते हैं और ना ही क्लासरूम के अंदर बच्चों के सेकने के लिए कोई ऐसी व्यवस्था है जिससे बच्चे ठंड से बीमार होने से बच सके तो ऐसी स्थिति में दूसरे टर्म के बचे हुए 50% सिलेबस में बच्चों से क्या उम्मीद की जा सकती हैंl स्कूल शिक्षा बोर्ड ने आनन फनान् मे 29 सितम्बर को इस संदर्भ मे अधिसूचना जारी कर तो दी है लेकिन एक महीने बाद नवंबर मे होने वाले टर्म एक मे थ्योरी और प्रायोगिक परीक्षा के लिए आने वाला पाठ्यक्रम अभी खुद शिक्षा बोर्ड ही तय नही कर पाया है l
वीरेंद्र चौहान ने कहा के हम टर्म सिस्टम का स्वागत करते हैं और यह मांग बहुत समय से संघ कर रहा था लेकिन इस व्यवस्था को लागू करने के लिए जो समय चुना गया है जिसमें बच्चे पहले से कोविड काल में जूझ रहे हैं और 8 महीने से स्कूल सुचारू रूप से नहीं चल पा रहे हैंl एसी स्थिति में बच्चों के ऊपर भी एक मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ेगा क्योंकि उनके लिए भी यह एक नया प्रयास है l
संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा है कि किसी भी शिक्षक संगठन ने छात्र हित में हो रहे इतने बड़े बदलाव , जो कि सत्र के अंतिम क्षणों में लिया गया है, उसके ऊपर अपना विचार साझा नहीं किया ना तो किसी संगठन ने इसका स्वागत किया और ना ही इसका विरोध करने का साहस किया जो कि संगठनों की अभिव्यक्ति की आजादी के लिए एक बहुत बड़ा खतरा भी हैl
हो सकता है “मुझे एक बार फिर बच्चों के हित मे इस ज्वलंत मुद्दे को उठाने के लिए विभाग की तरफ से कार्रवाई का सामना करना पड़े लेकिन छात्र हित में अपनी बात रखना और आवाज उठाना मेरा परम कर्तव्य है और मैं उस कर्तव्य का निर्वहन करने मे कभी पीछे नहीं हट सकता हूँ l”
इस संदर्भ मे आज हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ का शिष्टमंडल प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान की अध्यक्षता मे मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव श्री आर एन बत्ता से मिल कर मुख्यमंत्री को अपना ज्ञापन दिया और अपना पक्ष रखा l शिष्टमंडल में हमीरपुर जिला के प्रधान राजेश गौतम मुख्यालय सचिव ताराचंद शर्मा आदि मौजूद थे। उसके बाद संघ ने शिक्षा सचिव को मिलने और ज्ञापन देने के लिए आग्रेह किया जब उनके द्वारा अंदर नही बुलाया गया तो संघ ने उनके सचिव के माध्यम से उन्हे अपना ज्ञापन दिया , जिसमें सरकार से मांग कि गयी है कि हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों , विशेषकर शीतकालीन स्कूलों मे पढ़ रहे बच्चों को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष नौवीं से बारहवीं की परीक्षाएं पूर्व में चल रहे हैं पैटर्न के आधार पर ही वार्षिक परीक्षाएं को आधार मानकर ली जाए तथा भविष्य में टर्म सिस्टम को लागू करने के लिए पूरी रूपरेखा तैयार की जाए जिससे विंटर और समर क्लोजिंग स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे और वहां पढ़ा रहे शिक्षकों के हितों को भी ध्यान में रखा जाए इसके लिए सभी स्टैकहोडर से विस्तृत चर्चा की जाए तभी न्यू एजुकेशन पॉलिसी को अच्छे से लागू कर सकते हैं।


चौहान ने यह भी सलाह दी कि यदि वास्तव में न्यू एजुकेशन पॉलिसी को सही तरीके से लागू करना है तो इसे ऊपर से नहीं बल्कि तो नीचे से लागू करने की आवश्यकता है। जिसमें न्यू एजुकेशन पॉलिसी के 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 के पैटर्न के अनुसार जो पहला 5 इयर्स प्लस 3 ईयर की प्री प्राइमरी से लेकर प्राइमरी तक की शिक्षा को सुदृड् करने के लिए प्रयास करना चाहिए जिसमें सभी स्कूलों में तुरंत प्रभाव से प्री प्राइमरी एजुकेशन की व्यवस्था कर वहां पर सभी स्कूलों में प्री प्राइमरी एवं प्राइमरी शिक्षकों की कक्षा बार नियुक्ति करना सबसे पहला कार्य है इस पर सरकार एवम शिक्षा विभाग को ध्यान देने की आवश्यकता है।

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