विश्व भर में चीन से निकले एक विषाणु कोरोना ने हाहा कार मचा दिया। विश्व युद्ध की भयावह कल्पना मात्र से दुनिया सहम जाती थी कि तृतीय विश्व युद्ध भयावह होगा। परमाणु शक्ति का दुरूपयोग होगा। हजारों-लाखों लोग काल का ग्रास बनेंगे। यह कल्पना मात्र से दुनिया भर के विचारक हिल उठे थे। परन्तु यह सोचा न था कि एक वायरस सारे विश्व को झकझोड कर रख देगा। चीन दुनिया की महाशक्ति के रूप में उभरा, उसने अपने संख्याबल का उपयोग उत्पादनों के लिए किया और दुनिया भर के बाजारों में छा गया। चीन की तानाशाही व सामा्रज्यवादी प्रवृति के कारण विश्व भर में उसके प्रति आदर सम्मान का भाव कभी नहीं बन पाया। कोरोना वायरस चीन से फैला, तरह-तरह की भ्रांतियां फैली कि यह वायरस चीन ने विषाणु युद्ध के लिए तैयार तो नहीं किया। इससे भी चीन के प्रति सम्मान में गिरावट आना स्वभाविक है। यूरोप जो एक समय दुनिया की आर्थिक महाशक्ति रहा, के उपर कोरोना का जबरस्त हमला हुआ। इटली स्पेन, इंग्लैंड व अन्य देश इस भयावह वायरस से लड़ते हुए दिखाई देते हैं।
अरब देश जो क्रूड ऑयल के दाम पर दुनिया भर को अपनी मुटठी में करते आए हैं उनके उपर भी इस विषाणु का जबरदस्त हमला हुआ है। भारत कोरोना वायरस से बुरी तरह भयभीत है। प्रतिदिन संक्रमित लोगों का आंकड़ा बढ़ रहा है। कोई प्रदेश इसके प्रभाव से अछूता नहीं है। हमारे देश की घनी आबादी, अत्यधिक जनसंपर्क का अभ्यास, रेलवे स्टेशन, बस अडडे, आवागमन के साधन, सभी का सदा ‘जैमपैक’ रहना हमारे देश में इस वायरस के तीव्र गति से विस्तार के लिए खतरा है। जागरूकता का अभाव, अनुशासन में न रहने की आदत, संसांधनों की कमी, वायरस को तेजी से फैलाने में साधन बनेंगे। निर्धन लोग, लोअर मीडिल क्लास जिसे प्रतिदिन कमाना, प्रतिदिन खाना, इस पर निर्भर रहना होता है, ऐसी संख्या की बहुतायत भी ‘सैल्फ आइसोलेशन’ की सफलता में बाधक है। इन सब स्थितियों के होने के बावजूद, हमारे पास कुछ महत्वपूर्ण पहलु हैं, जिसके आधार पर हम कोरोना पर विजय प्राप्त करके विश्व विजयी बन सकते हैं। हमारे पास विश्व के सबसे अच्छे चिकित्सक हैं। जैसे दुनिया भर में कहीं के नहीं हैं। भारत का डाक्टर इंग्लैंड, यूके व अरब जैसे धनाढय देशों की चिकित्सा सेवाओं को संभाल रहा है और भारतवासियों की सेवा के लिए तो वह अपना सर्वस्व लगा देगा। हमारे पास दुनिया की सबसे अच्छी सेवा करने वाली नर्सें हैं, पैरामैडिकल हैं। जिन्होंने अपनी सेवा का लोहा मनवाया है। हमारे देश के लोगों के सांस्कृतिक संस्कार है कि वे संकट की घड़ी में उपलब्ध साधनों से जीवन यापन करना जानते हैं।
हमारे पास योग है, साधना है, संयम है। हमारे देश ने अपनी साधना से एक हजार साल की गुलामी काल खंड में अपनी संस्कृति को काफी हद तक सुरक्षित रखने में कामयाबी हासिल की। सौभाग्य से हमारे पास एक विशाल नेतृत्व है। जिसकी एक आवाज पर देश खड़ा हो जाता है, जिस पर देश भरोसा करता है। जिसकी दुनिया में विशिष्ट छवि हैं वह है नरेन्द्र भाई मोदी। हम स्मरण करें आजादी के लिए चल रहे महान आंदोलन की। उस आंदोलन में हजारों महान पुरूषों का योगदान था। लाखों भारतीयों का बलिदान था। नेता जी सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपतराय, बाल गंगागाधर तिलक, विपिन चन्द्र पाल, डा. हैडगेवार, स्वतंत्रय वीर सावरकर, भगत सिंह, चंद्रशेखर जैसे जन नायकों की भूमिका थी।
परन्तु एक नेतृत्व ऐसा था, जिसकी एक काॅल पर देश उठ खड़ा होता था, चल पड़ता था, जान हथैली पर रख लेता था, और एक काॅल पर अनुशासित होकर शांत हो, जाता था। उसका नाम था, महात्मा गांधी। जिनके तपोबल से आजादी प्राप्त हुई। हम स्मरण करें, 1965 का वह युद्ध जब हमारी सैन्य शक्ति कमजोर थी। देश में अन्न के भंडार नहीं थे। कूटनैतिक तौर पर देश कमजोर था। 1962 के चीन के युद्ध तिब्बत पर जब भारत के 40 हजार वर्ग मीटर भूमि के उपर चीन के कब्जे ने हमारी कमर तोड़ रखी थी, ऐसी भयावह स्थिति में एक नेता ने अपने आहवान की शक्ति से देश को विजय श्री दिलाई। जय जवान, जय किसान, का नारा दिया। देश को उपवास करके अपनी शक्ति को बढाने की काॅल दी। देश जीत गया, वह नेता था, लाल बहादुर शास्त्री। आज हम सामरिक दृष्टि से मजबूत हैं। कूटनैतिक दृष्टि से श्रेष्ठ हैं, आर्थिक दृष्टि से संपन्न हैं। ज्ञान विज्ञान, अनुसंधान, टैक्नोलोजी, आधारभूत ढांचा, संपर्क संसाधनों से ओतप्रोत हैं। और देश को सही दिशा देने वाला नेतृत्व नरेन्द्र मोदी है, जिसे देश आजमा चुका है। हमारे पास दुनिया की सबसे ज्यादा यंग फोर्स, यंग इंडिया है। सर्वाधिक डाक्टर पैरा मैडिकल, टैक्नोक्रेट हैं। नेटवर्किंग में हम विश्व लीडर हैं। हम मानते हैं कि कोरोना की चुनौती गंभीर है। परन्तु भारत के पास अथाह शक्ति है। यदि हम ठान लें कि कोरोना को हराना है, हमें विश्व विजयी बनना है, तो हमारी सफलता को कोई नहीं रोक सकता है।

हमने कहा कि कोरोना चुनौती है या अवसर:-
आइए मिलकर इस चुनौती को विश्व विजय के अवसर में तब्दील करें। चीन, अमेरिका, यूरोप, अरब, इस संकट से जहां, कमजोर, हो रहे हैं, वहीं हमें अपनी ताकत के, क्षमताओं के दम पर भारत विजय करना है। अवसर है, जाति धर्म की सीमाओं को तोड़कर, अपना योगदान, देने का। स्वामी विवेकानंद जी ने आहवान किया, उठो, जागो, तब तक न रूको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो, जाए। अटल जी ने कहा, बाधाएं आती हैं आएं, कदम मिलाकर चलना होगा। जितना बड़ा संघर्ष होगा, विजय भी उतनी विशाल होगी।
साभार
डा. राजीव बिंदल
अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी