संघ ने लगाए आरोप- सरकार नहीं गंभीर, 3 महीने से नियमितीकरण को टाल रही है
शिमला टाइम
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा हैं कि पीटीए पैरा व पैट शिक्षकों के नियमितीकरण को सरकार जानबूझकर टाल रही है। ताकि न्यायालय की तरफ से यह मामला उलझ जाए और सरकार को इन अध्यापकों को नियमित ना करना पड़े। ऐसा लगता है सरकार इसी तरह के किसी न्यायालय के आदेश का इंतजार कर रही है वरना सर्वोच्च न्यायालय से 3 महीने पूर्व इनके नियमितीकरण के मामले को हरी झंडी मिल चुकी है और अभी तक नियमितीकरण की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान महासचिव श्याम लाल हांडा वित्त सचिव देवराज ठाकुर सहित सभी राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारियों एवं सभी जिलों की वह खंडों के अध्यक्षों व उनकी कार्यकारिणीयों की तरफ से एक संयुक्त बयान में संघ ने स्पष्ट शब्दों में सरकार को इन शिक्षकों के नियमितीकरण को 10 दिन के भीतर करने का अल्टीमेटम दिया है। संघ ने कहां है कि 10000 के आसपास शिक्षकों ने अपने पूरे जीवन काल को शिक्षा क्षेत्र में शिक्षा के लिए और विद्यार्थियों के लिए समर्पित किया है 17 सालों तक सेवाएं देने के बाद भी अगर इन अध्यापकों की सेवाएं सरकार नियमित नहीं लेना चाहती है तो यह एक विडंबना ही कही जा सकती है , अब तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी इनके नियमितीकरण के लिए सरकार को 3 माह पूर्व हरी झंडी दे दी है, उसके उपरांत भी आज तक सरकार इन शिक्षकों को दिलासा मात्र दिला सकी है। 25 जून को कैबिनेट में इनके नियमितीकरण का निर्णय तो जरूर लिया गया लेकिन पिछले कल दूसरी कैबिनेट होने के बावजूद भी पहली कैबिनेट में लिए गए इनके नियमितीकरण के निर्णय को अभी तक नोटिफाई तक नहीं किया गया है जिससे सरकार की मंशा जाहिर होती है और सरकार की कथनी और करनी भी समझ में आती है। संघ इन शिक्षकों के नियमितीकरण के लिए हमेशा अपनी आवाज बुलंद करता आया है और आज भी हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ इन 10000 शिक्षकों के नियमितीकरण के लिए किसी हद तक जाने से भी गुरेज नहीं करेगा यदि सरकार ने 10 दिनों के भीतर इन शिक्षकों का नियमितीकरण नहीं किया तो संघ को मजबूरन अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए सचिवालय का घेराव करना पड़ेगा , जिसका पूरा दायित्व सरकार का होगा।
संघ हमेशा ही सहयोग और सौहार्द की नीति को लेकर काम करता है लेकिन यदि जरूरत पड़े तो संघर्ष का रास्ता अख्तियार करने से भी पीछे नहीं हटता है इसीलिए संघ ने निर्णय लिया है कि इन शिक्षकों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इनके नियमितीकरण के लिए यदि संघर्ष की आवश्यकता भी पड़ी तो उससे गुरेज नहीं करेगा। अब यह निर्णय सरकार को करना है के सरकार टकराव चाहती है या सहयोग क्योंकि सरकार के पास अभी इन शिक्षकों के नियमितीकरण का विकल्प खुला है। पिछले कल इन शिक्षकों के विरोध में उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है तब तक सरकार अपना निर्णय ले सकती है इसलिए संघ प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर एवं शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज जी से मांग करता है कि इनके नियमितीकरण के संदर्भ में अपने केबिनेट डिसीजन की अधिसूचना तुरंत जारी कर 10 दिनों के भीतर उनका नियमितीकरण किया जाए।