कुपोषण को दूर करने के लिए अब आएगा विटामिन युक्त गेंहू


बिल गेटस की एनजीओ के साथ मिलकर किया फार्मूला तैयार
तैयार करने में हिमाचल के युवा की रही अहम भूमिका

शिमला टाइम, बद्दी

हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य के छोटे से शहर नालागढ़ के वार्ड नंबर पांच के निवासी विनीत गुप्ता ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। उन्होंने एक ऐसा गेंहू तैयार किया है जिसके खाने से व्यक्ति के भीतर कभी भी विटामिन अथवा खनिज की कमी नहीं होगी। हिमाचल प्रदेश के रहने वाले विनीत गुप्ता पिछले काफी वर्षों से इस तरह का अनाज तैयार करने में जुटे हुए थे जिसके खाने से लोगों में किसी भी विटामिन की कमी न रहे। अब यह उनकी मेहनत का ही फल है कि बिहार के कुकरी बिगहा गांव को न्यूट्रिशयन गांव के रुप में विकसित किया गया है। विनीत गुप्ता रूरल डेवॉलपमेंट काऊंसिल के निदेशक हैं तथा उन्हें आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए हरियाणा सरकार ने हरियाणा रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया है जो हिमाचल के बहुत बड़ी बात है क्योंकि इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले वह हिमाचल के एकमात्र व्यक्ति हैं। विनीत गुप्ता ने बताया कि कुकरी बिगहा जिला पटना (बिहार) भारत का पहला न्यूट्रिशियन विलेज है जहां रुरल डेवेलमेंट काऊसिंल की तरफ से निशुल्क बीज वितरण किया गया और यहां से जितनी भी पैदावार होगी उसको खरीदने का भी एमओयू किया गया है। इस यूट्रिशियन विलेज में की जा रही खेती का कल केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह व डा प्रेम कुमार कृषि मंत्री बिहार सरकार ने विधिवत शुभारंभ किया। हिमाचल के युवा उद्यमी विनीत गुप्ता की इच्छा है कि इस अनाज को हिमाचल, हरियाणा व पंजाब प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री भी रूचि लेते हुए प्रोत्साहित करें तथा प्रदेश सरकार हिमाचल की तमाम आंगनबाड़ी केंद्रो में बच्चों को वितरित करे ताकि उनमें भी कुपोषण की कमी को दूर किया जा सके। विनीत गुप्ता का कहना है कि इस गेहूं का प्रयोग आम गेंहू की तरह ही किया जा सकता है तथा यह छोटे बच्चों से लेकर जवान तथा बुजुर्गों के लिए भी लाभदायक है क्योंकि इसका प्रयोग करने के बाद किसी भी विटामिन को पूरा करने के लिए दवाई का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बाहरी राज्यों की सरकार इसे अपना रही है तो प्रदेश सरकार को भी इसके बारे में कदम उठाने चाहिए। विनीत गुप्ता का कहना है कि बायोफोर्टीफाइड गेहूं में सूक्ष्म तत्व हैं जो व्यक्ति के शरीर को सभी विटामिन तथा खनिजों की कमी को पूरा करते हैं। हिमाचल में भी कुपोषण के मामले सामने आते हैं। ऐसे में यहां के लोगों के लिए भी यह काफी लाभदायक है।

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