तस्करी और जालसाजी के कारण अर्थव्यवस्था को 1.17 करोड़ रुपये का नुकसान, रिपोर्ट में खुलासा


शिमला टाइम

फिक्की कास्केड की एक रिपोर्ट के अनुसार, कैपिटल गुड्स (मशीनरी और पुर्जे) और कंज्यूमर (इलेक्ट्रॉनिक्स) ड्यूरेबल्स सहित पांच प्रमुख सेक्टर में तस्करी और जालसाजी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को 1,17,253 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। नकली वस्तुओं की बिक्री 2022 तक वैश्विक स्तर पर दोगुनी होकर 119.7 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। भारत इस खतरे से अछूता नहीं है।
ग्राहक को शिक्षित करना, उत्पादों की खासियत के आधार पर असली उत्पादों की आसान पहचान के बारे में बाजार में जागरूकता फैलाना और ब्रांड के अधिकृत बिक्री व सर्विस चैनल तक आसान पहुंच प्रदान करना इस खतरे को रोकने की कुंजी है। अन्य कंपनियों के साथ-साथ 35 वर्षों से भारत में पावर प्रोडक्ट्स अग्रणी कंपनी होंडा इंडिया पावर प्रोडक्ट्स (एचआईपीपी) भी इस खतरे के खिलाफ  लड़ाई का नेतृत्व कर रही है। एचआईपीपी ने अपने मूल्यवान ग्राहकों को शिक्षित करने के लिए नो योर होंडा (होंडा को जानें) अभियान शुरू किया है और अपने आईपी सेल के माध्यम से ऑनलाइन और ऑफलाइन बिक्री प्लेटफार्मों की सक्रिय रूप से निगरानी कर रही है ताकि किसी भी फर्जी गतिविधि को चिह्नित किया जा सके, जिससे कानून तोडऩे वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।
जालसाजी के खतरे पर टिप्पणी करते हुए प्रसिद्ध कंज्यूमर एक्टिविस्ट प्रोफेसर बेजोन कुमार मिश्रा ने कहा, जालसाजी बड़ी वैश्विक समस्या है, जो भारत सहित दुनिया भर में लगभग हर उद्योग सेक्टर को प्रभावित कर रही है। इस तरह के कदाचार सीधे स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, शिक्षा और समाज को प्रभावित करते हैं। इन गतिविधियों के कारण भारत पर अहम आर्थिक, स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी प्रभाव पड़ रहे हैं। सभी छोटे-बड़े व्यवसाय नकली टेक्नोलॉजी या उपकरणों से प्रभावित हैं, और ब्रेकेज, बिजनेस डाउनटाइम और कई अन्य तरह से नुकसान का सामना कर रहे हैं।
फिक्की कास्केड की रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में तस्करी, प्रतिबंध, नकली और पायरेटेड वस्तुओं का व्यापार तेजी से बढ़ा है और अभी यह कुल वैश्विक व्यापार के 3.3 प्रतिशत के बराबर है। नकली उत्पादों का बढ़ता ट्रेंड विभिन्न कंज्यूमर एक्टिविस्ट और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के लिए भी चिंता का विषय है।
भारत सरकार ने अपने आईपी लीगल फ्रेमवर्क और प्रवर्तन प्रणाली में सुधार करके और अपने आईपी गवर्नेंस को आधुनिक बनाकर जालसाजी को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। कम्प्यूटरीकरण के स्तर में वृद्धि, विभिन्न कार्यालयों के बीच इंटरनेट कनेक्टिविटी देना, पेटेंट और ट्रेडमार्क आवेदनों को दाखिल करने और प्रोसेस करने के लिए एक ऑनलाइन व्यवस्था बनाना और डेटाबेस तैयार करने के लिए बौद्धिक संपदा रिकॉर्ड का कम्प्यूटरीकरण करना कुछ बड़ी उपलब्धियों में से हैं।  

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