अनोखी डाली मेले में किया वादा भूले जयराम, सब्जी मंडी के निर्माण को शिलान्यास के बाद वीरभद्र सिंह ने बजट का भी करवाया था प्रावधान, अब 10 पंचायतों के प्रधानों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

शिमला टाइम

उप नगर टुटू में सब्जी मंडी व पीएचसी का निर्माण न होने से इस क्षेत्र के लोगों में भारी रोष फैलता जा रहा है। इस क्षेत्र के साथ लगती 12 पंचायतों के लोगों ने अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का फैसला कर लिया है।
चनोग के प्रधान मनोज कुमार, बागी के प्रधान नरेश कुमार, रामपुरी के प्रधान रामलाल ठाकुर, टुटू मझटाई के प्रधान बलराज कश्यप सुरेश कुमार, गिरव खुर्द के प्रधान अनूप कुमार, चैली के प्रधान मोहन ठाकुर, बनूटी के प्रधान दवेंद्र ठाकुर, शारड़ा जनोल के प्रधान जीत सिंह ठाकुर, बढ़ई की प्रधान प्रियंका तंवर व जलेल की प्रधान रंजना रोहाल व मिठाई के ने सरकार की कार्यप्रणाली पर रोष व्यक्त किया है।

शिमला ग्रामीण कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष गोपाल शर्मा ने बताया है कि टुटू उप नगर में पूर्व कांग्रेस सरकार के पांच साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ग्रामीण लोगों की मांग पर यहां सब्जी मंडी निर्माण का शिलान्यास किया था। यहां इसके निर्माण से इस क्षेत्र के लोगों विशेष तौर पर सब्जी उत्पादकों को अपने उत्पाद बेचने का बहुत बड़ा लाभ मिलना था। इसके निर्माण के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने एपीएमसी से पूरे बजट का प्रावधान तक किया था।उस समय इसका कार्य शुरू भी हुआ था, पर दुर्भाग्य से प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही इसका कार्य आज दिन तक अधर में लटका है।
स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भारी रोष है कि बजट होने के बाबजूद इस सब्जी मंडी का निर्माण आज दिन तक नही हुआ।

पूर्व कांग्रेस सरकार के समय जहां यह शुरू हुआ था,आज वही पर खड़ा है। हालांकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अनोखी डाली मेले में इस कार्य के जल्द पूरा करने का आश्वासन लोगों को दिया था।
गोपाल शर्मा ने टुटू में पीएचसी के न बनने पर भी गहरा रोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि पिछले साल 14 सितंबर 20 को ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य के इस प्रश्न के उत्तर में सरकार ने सदन को आश्वासन दिया था कि तीन माह के भीतर टुटू में पीएचसी का निर्माण पूरा कर दिया जाएगा,पर वह भी आज दिन तक शुरू भी नही हुआ।
गोपाल ने सरकार के इस रवैये पर दुख प्रकट करते हुए कहा है कि यह ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के साथ बड़ा अन्याय है।उन्होंने कहा कि विधानसभा के भीतर आश्वासन के बाद उस पर अमल न होना सरकार की विश्वसनीयता पर एक बड़ा सवाल पैदा होता है।

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